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जाने, नवमी में कैसे करें हवन और कन्याओं की पूजा

17 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि 2024 की नवमी है. नवमी तिथि नवरात्रि का नौवां और अंतिम दिन है. ज्यादातर लोग इसी दिन हवन पूजा और कन्याओं को भोजन कराते हैं. वहीं, 17 अप्रैल को नवमी तिथि दोपहर 3:14 मिनट तक ही है. इसके बाद दशमी तिथि लग रही है. नवमी तिथि में कन्या पूजा और हवन पूजा करना शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं कन्या पूजा और हवन पूजन की विधि और शुभ मुहूर्त-

कन्या पूजन शुभ मुहूर्त-
अष्टमी के दिन- सुबह 07 बजकर 51 मिनट से लेकर 10 बजकर 41 मिनट तक
दोपहर- 01 बजकर 30 मिनट से लेकर 02 बजकर 55 मिनट तक
नवमी के दिन- सुबह 06 बजकर 27 मिनट से लेकर 07 बजकर 51 मिनट तक
दोपहर- 01 बजकर 30 मिनट से लेकर 02 बजकर 55 मिनट तक

कन्या पूजन विधि
1- प्रयास करें कन्याओं को 1 दिन पहले ही आमंत्रित करें
2- सभी कन्याओं के पांव को साफ जल, दूध और पुष्प मिश्रित पानी से धोएं
3- फिर कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें
4- आप सभी कन्याओं को लाल चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं
5- श्रद्धा मुताबिक कन्याओं को चुनरी भी उढ़ा सकते हैं
6- अब कन्याओं को भोजन कराएं
7- दक्षिण या उपहार देकर सभी कन्याओं के पांव छूकर आशीर्वाद लें
8- माता रानी का ध्यान कर क्षमा प्रार्थना करें

नवमी हवन मुहूर्त 
नवमी तिथि प्रारम्भ- अप्रैल 16, 2024 को 01:23 पी एम बजे
नवमी तिथि समाप्त- अप्रैल 17, 2024 को 03:14 पी एम बजे
हवन पूजन मुहूर्त- 07:30 ए एम से 12:20 पी एम, 02:30 पी एम से 03:13 पी एम (17 अप्रैल)

हवन की विधि
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें. हवन कुंड को साफ कर लें. इसके बाद हवन के लिए साफ-सुथरे जगह पर हवन कुंड स्थापित करें. पूजा प्रारम्भ करने से पहले ईश्वर गणेश का ध्यान करें. अब गंगाजल का छिड़काव कर सभी देवताओं का आवाहन करें. अब हवन कुंड में आम की लकड़ी, घी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें. ऊं आग्नेय नम: स्वाहा मंत्र बोलकर अग्नि देव का ध्यान करें. ऊं गणेशाय नम: स्वाहा मंत्र बोलकर अगली आहुति दें. इसके बाद नौ ग्रहों (ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा) और कुल देवता (ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा) का ध्यान करें. इसके बाद हवन कुंड में सभी देवी-देवताओं के नाम की आहुति डालें. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक हवनकुंड में कम से कम 108 बार आहुति डालनी चाहिए. देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान करते हुए आहुति डालें. अंत में बची हुई हवं सामग्री को एक पान के पत्ते पर एकत्रित कर, पूड़ी, हलवा, चना, सुपारी, लौंग आदि रख आहुति डालें. इसके बाद पूरी श्रद्धा के साथ मां की आरती करें. पूरी, हलवा, खीर या श्रद्धानुसार भोग लगाएं. आचवनी करें. क्षमा प्रार्थना करें. सभी को आरती दें और प्रसाद खिलाएं.

कन्या पूजन महत्व 
नवरात्रि की पूजा बिना कन्या पूजन के अधूरी मानी जाती है. नवरात्रि के 9 दिन में किसी भी दिन कन्या पूजन की जा सकती है. वहीं, अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करना बहुत शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 10 साल तक की कन्याओं की पूजा करना अति पुण्यदायक माना जाता है. कन्याओं के साथ एक बालक की भैरों बाबा के रूप में भी पूजा की जाती है. 9 कन्याओं और एक बालक की पूजा करना शुभ माना जाता है.

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