नवरात्रि के नौवें दिन करें मां सिद्धिदात्री की पूजा
चैत्र नवरात्रि के अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन किया जाता है। भक्त नवरात्रि के नौवें दिन मां जगदंबा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा करते है। मां सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा अर्चना करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां सिद्धिदात्री देवी सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली है। मां सिद्धिदात्री के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा ताथा बायी तरफ एक हाथ में शंख और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है। मां सिद्धिदात्री का गाड़ी सिंह है और यह कमल पुष्प पर भी आसीन होती है। नवरात्रि के नौवें विधि-विधान से मां सिद्धिदात्री की उपासना करने से सिद्धियां पाप्त होती है।
इस मुहूर्त में करें माता की पूजा
चैत्र नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां के भिन्न-भिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवमी पूजा के बाद नवरात्र खत्म हो जाएगा। नवमी तिथि 17 अप्रैल 2024 दिन बुधवार को है। रामनवमी के दिन एक विशेष मुहूर्त बन रहा है। इस दिन 11 बजकर 40 मिनट से लेकर के 1 बजकर 40 मिनट के बीच में एक अभिजित मुहूर्त बन रहा है। इस बीच में मां दुर्गा की विधान से पूजा करें और आरती करने के बाद भोग लगाएं। इसके बाद कन्या को भोजन खिलाएं और उसके व्रत खोलें।
चैत्र नवरात्रि 2024 नवमी तिथि
चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 23 मिनट से प्रारम्भ होगी। वहीं नवमी तिथि की समापन 17 अप्रैल 2024 को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट पर होगी। नवरात्रि की महानवमी 17 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी, इस दिन देवी की नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इसी दिन नवरात्रि व्रत का पारण जाएगा। चैत्र नवरात्रि की महानवमी पर राम नवमी यानी प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा।
मां सिद्धिदात्री भोग
चैत्र नवरात्र के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री को हलवा, पूड़ी, काले चने, मौसमी फल, खीर और नारियल का भोग लगाया जाता है। माता की पूजा करते समय बैंगनी या जामुनी रंग का कपड़ा पहनना शुभ रहेगा। यह रंग अध्यात्म का प्रतीक होता है। नवरात्रि की नवमी तिथि पर कन्या पूजन करने का विधान है। माता सिद्धिदात्री को लगाया गया भोग के प्रसाद को कन्याओं और ब्राह्मणों में बांटना बहुत शुभ माना गया है। ऐसा करने वाले साधक से मां प्रसन्न होती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए तिल का भोग लगाएं और कमल का फूल अर्पित करें। इसके बाद माता सिद्धिदात्री को हलवा, पूड़ी, काले चने, मौसमी फल, खीर और नारियल का भोग लगाएं। इस दौरान आपको ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। माता सिद्धिदात्री को सफेद रंग प्रिय है। इसलिए मां सिद्धिदात्री को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद मां सिद्धिदात्री की आरती करें। इस पूजन के बाद हवन करें और कन्या पूजा करें।
पूजा मंत्र
ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः.
मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:.
सिद्धिदात्री प्रार्थना मंत्र
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि.
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी.
मां सिद्धिदात्री स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः.
सिद्धिदात्री माता की आरती
जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता. तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि. तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम. जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है. तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो. तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥
तू सब काज उसके करती है पूरे. कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया. रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली. जो है तेरे रेट का ही अम्बें सवाली॥
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा. महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता. भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता