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जौनापुरिया पर गरजे हरीश मीणा, बोले…

चुनाव प्रचार के दौरान हरीश मीना ने शाँति के पेड़ के नीचे रबड़ी खाते हुए कुछ पल गुजारे, हां, चुनाव के बाद जब उनसे मुलाकात होगी तो उन्हें गले लगाऊंगा. वह मुझसे छोटा है और छोटे भाई जैसा है.‘ लेकिन हरीश ये बोलना नहीं भूले कि जिस शख्स के विरुद्ध हरियाणा-दिल्ली-राजस्थान में दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं. ऐसे में आप ऐसे आदमी से क्या आशा कर सकते हैं?चुनावी माहौल और संभावनाओं को लेकर हरीश मीणा ने बोला कि टोंक-सवाई माधोपुर की जनता ने मन बना लिया है कि अब वे किसी बाहरी को विदा करेंगे. क्योंकि जौनापुरिया पिछले 10 वर्षों से इस जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए हैं.

इससे पहले मीना ने बोला था, सुखबीर जौनापुरिया चपरासी बनने लायक नहीं है, वह क्रिमिनल है. ‘उन्हें आपने सांसद बनाकर रखा है’ मीना यहीं नहीं रुके, उन्होंने जौनापुरिया के भाजपा टिकट पर भी प्रश्न उठाया और बोला कि, जौनापुरिया जी हरियाणा के बिजनेसमैन हैं और बिजनेसमैन क्या करते हैं? 10 रुपये खर्च करता है और 100 रुपये कमाता है. तो देखिए, वह आपके बीच नहीं आता है और वह आपके वोट का महत्व नहीं रखता है.

‘सचिन पायलट एक लोकप्रिय और करिश्माई नेता’

हरीश मीना ने सचिन पायलट के करिश्माई नेतृत्व पर बोलते हुए बोला कि सचिन पायलट एक लोकप्रिय और करिश्माई नेता हैं. जिसे लोग अपने बीच देखना चाहते हैं और सचिन पायलट जहां भी जाएंगे, उनका असर नतीजों में दिखेगा. मीणा ने जयपुर ग्रामीण, दौसा, अलवर, टोंक-सवाई माधोपुर समेत कई सीटों की गारंटी देते हुए बोला कि इस बार राजस्थान में नतीजे चौंकाने वाले होंगे और निश्चित तौर पर इस बार कांग्रेस पार्टी काफी सीटें जीतने में सफल होगी.

बयानों में स्पष्टता महत्वपूर्ण है

खुद और सुखबीर सिंह जौनपुरिया के संबंध पर मर मिटने जैसे बयान से भी हरीश मीना आहत हुए. उन्होंने बोला कि राजनीति में ऐसे बयानों की कोई स्थान नहीं होनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों जौनापुरिया ने बोला था कि, ‘जब सियार मर जाता है तो वह जंगल की ओर भाग जाता है.

हरीश एक बार सांसद रह चुके हैं

हरीश मीणा एक बार सांसद और दो बार विधायक रह चुके हैं. उन्हें सचिन पायलट का करीबी नेता माना जाता है. मीना लोकसभा क्षेत्र के बामनवास विधानसभा क्षेत्र से हैं. 2009 में उनके भाई नमोनारायण मीना ने यह सीट जीती थी. टोंक-सवाई माधोपुर सीट पर 21 लाख 48 हजार से अधिक मतदाता हैं. इस सीट पर एससी, एसटी, गुर्जर और अल्पसंख्यक मतदाता बहुसंख्यक हैं. परिसीमन के बाद अब तक हुए तीन चुनावों में यहां दो बार भाजपा और एक बार कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की है.

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