वृंदावन में शुरू हुआ उत्तर भारत का प्रसिद्ध ब्रह्मोत्सव
वृंदावन के लिए एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है। कहते है कि वृंदावन में प्रत्येक दिन एक उत्सव की तरह है। क्योंकि, यहां पर उत्सवों का सिलसिला हमेशा चलता रहता है। अभी वृंदावन से होली उत्सव का रंग उतरा भी नहीं था, अब वृंदावन में एक और भव्य उत्सव की आरंभ होने वाली है। वृंदावन के रंगनाथ मंदिर में मंदिर परंपराओं के मुताबिक पूरे वर्ष में 384 उत्सव ईश्वर के लिए आयोजित किए जाते हैं। इन्हीं उत्सवों में से सबसे प्रमुख रंगनाथ मंदिर का श्री ब्रह्मोत्सव है, जिसकी आरंभ 27 मार्च से हो चुकी है।
रंगनाथ मंदिर की कार्यकारी अधिकारी अनघा श्रीनिवासन ने कहा कि मंदिर में प्रत्येक दिन कोई ना कोई उत्सव चलता है। लेकिन, इन सभी उत्सवों में से सबसे मुख्य उत्सव श्री ब्रह्मोत्सव को माना जाता है। उन्होंने आगे कहा कि दक्षिण परंपराओं के मुताबिक ब्रह्मा जी ही यज्ञ कर के आर्चाय रूप में सबसे पहले ईश्वर को प्रकट किया था। इसके बाद उन्होंने ने ही सर्वप्रथम उन्हें प्रतिष्ठित भी किया। और उनका उत्सव मनाया। इस वजह से उत्सव को श्री ब्रह्मोत्सव बोला जाता है। यह सभी दक्षिण शैली के मंदिरों में मनाया जाता है।
मथुरा में रंगनाथ मंदिर में ब्रह्मोत्सव
वृंदावन के रंगनाथ मंदिर में यह उत्सव 5 अप्रैल को समाप्त होगा। इन 10 दिनों में ईश्वर के कई अनुष्ठान किए जाएंगे। प्रत्येक दिन ईश्वर अपने सोना-चांदी के बने भिन्न-भिन्न वाहनों पर बैठ कर मंदिर और नगर भ्रमण कर भक्तों को दर्शन देंगे। इस मौके पर वृंदावन में 10 दिनों का भव्य मेला लगेगा।
28 मार्च: सुबह- सूर्यप्रभा, शाम- हंस वाहन
29 मार्च: सुबह- श्री गरुड़, शाम- हनुमान
30 मार्च: सुबह- शेषनाग, शाम- कल्प वृक्ष
31 मार्च: सुबह- पालकी, शाम- सिंह शार्दूल
1 अप्रैल: दोपहर- कांच का विमान(होली), शाम- हाथी वाहन
2 अप्रैल: सुबह- रथ दर्शन(रथ का मेला)
3 अप्रैल: सुबह- ईश्वर का चरणोदक स्नान, शाम- घोड़े की सवारी
4 अप्रैल: सुबह- पालकी दर्शन, दोपहर- कलह लीला/ गेंद बच्छी, शाम- चन्द्रप्रभा
5 अप्रैल: रात्रि- पुष्पक विमान