उत्तर प्रदेश

राजनीतिक गलियारों में चर्चा, बसपा 24 साल बाद खेल सकती है मुस्लिम कार्ड

अलीगढ़ में राजनीतिक महासमर में बीएसपी के पत्ते खुलने का हर किसी को प्रतीक्षा है. हालांकि गुरूवार को प्रत्याशी के नाम की घोषणा हो सकती है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि बीएसपी 24 वर्ष बाद मुसलमान कार्ड खेल सकती है. इससे पहले 1996 में हुए चुनाव में पार्टी ने अब्दुल खालिक को चुनाव लड़ाया था. बीएसपी विधानसभा और निकाय चुनावों में तो मुसलमान चेहरे पर कई बार दांव लगाती आई है. वहीं लोकसभा चुनाव के पुराने इतिहास की बात करें तो 1984 में कांशीराम ने बीएसपी का गठन किया था.

पहली बार 1989 में हाथी चुनाव चिन्ह आवंटित हुआ था. हालांकि इस चुनाव में बीएसपी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था. 1991 में भी प्रत्याशी को हार मिली थी. 1996 में बीएसपी ने अब्दुल खालिक को चुनाव लड़ाया था. इस चुनाव में बीएसपी रनर अप रही थी. हालांकि वोट फीसदी बढ़ा था. इस चुनाव में दलित-मुस्लिम गठजोड़ का फार्मूला काफी सफल हुआ था. बीएसपी का यह पिछले चुनावों के मुकाबले पार्टी का सर्वाधिक वोट फीसदी था. इस चुनाव के बाद से बीएसपी ने मुसलमान प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा. लेकिन अब मुसलमान प्रत्याशी बीएसपी की टिकट से चुनाव मैदान में उतर सकता है.

बसपा के राष्ट्रीय सचिव आज कर सकते हैं घोषणाः बीएसपी जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्रा ने कहा कि बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व सांसद मुनकाद अली, आगरा, अलीगढ़ और कानपुर मंडल प्रभारी सूरज सिंह प्रत्याशी की घोषणा करेंगे. पार्टी पूरे दमखम के साथ चुनावी रण में उतरेगी.

बीते दो चुनाव में बीएसपी को मिले वोटों की स्थिति
2019: बसपा-डा अजित बालियान-4,26,954
2014: बसपा-अरविंद कुमार सिंह-2,27,086

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