उत्तर प्रदेश

मायावती की ‘मुस्लिम 11’ टीम INDIA अलायंस को दे रही है टेंशन

लोकसभा चुनाव अब धीरे-धीरे बल पकड़ रहा है और इसके साथ ही ज्यादातर पार्टियों ने अपने उम्मीदवार भी लगभग घोषित कर दिए हैं. यूपी की बात करें तो भले ही सीधा मुकाबला बीजेपी और INDIA अलायंस में शामिल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच है. लेकिन पश्चिम यूपी समेत राज्य की अनेक सीटों पर बीएसपी भी एक फैक्टर बन रही है और इसका हानि सीधे तौर पर विपक्षी अलायंस को हो सकता है. अब तक बीएसपी ने 4 सूचियां जारी की हैं, जिनमें 46 कैंडिडेट्स घोषित कर दिए हैं. इनका विश्लेषण करें तो कुछ सीटों पर बीजेपी की चिंता बढ़ती है, जैसे मुजफ्फरनगर में दारा सिंह प्रजापति मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं और संजीव बालियान का खेल बिगाड़ सकते हैं.

यहां समाजवादी पार्टी ने हरेंद्र मलिक को उतारा है, जो मजबूती से जाट वोटों पर दावेदारी कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त ठाकुरों की नाराजगी के चलते सरधना में चीजें उतना पक्ष में नहीं दिखतीं. इन सबके बीच दारा सिंह प्रजापति ओबीसी समाज के एक बड़े हिस्से को काट पाएं तो संजीव बालियान की स्थिति कमजोर हो सकती है. इसके अतिरिक्त बीएसपी ने जौनपुर में धनंजय सिंह की पत्नी को टिकट दिया है और सारे समीकरण बिगाड़ दिए हैं. इसका हानि बीजेपी को हो सकता है. हालांकि इसके अतिरिक्त सहारनपुर, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा, आंवला, पीलीभीत समेत कन्नौज और लखनऊ तक की सीटों पर बीएसपी का असर INDIA अलायंस पर ही उल्टा पड़ रहा है. ऐसी 11 सीटों पर बीएसपी ने मुसलमान उम्मीदवार उतारे हैं.

यह इसलिए अहम है क्योंकि इन सीटों पर मुसलमान जनसंख्या काफी है और यदि बीएसपी कैंडिडेट कुछ वोट भी अपने समाज का ले गए तो चीजें बदल सकती हैं. बीएसपी की ओर से 11 कैंडिडेट उतारना इसलिए अहम है क्योंकि समाजवादी पार्टी ने उसके मुकाबले कम ही मुस्लिमों को मौका दिया है. यहां तक कि मुरादाबाद जैसी सीट से एसटी हसन का टिकट काटकर रुचिवीरा को मौका मिला है. मुसलमानों के अतिरिक्त बीएसपी ने बड़ी संख्या में ब्राह्मण भी उतारे हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी को इससे हानि होता है और कौन बाजी मार ले जाएगा. जैसे बांदा की सीट से बीएसपी ने मयंक द्विवेदी को मौका दिया है.

इसके अतिरिक्त अकबरपुर से राकेश द्विवेदी, मिर्जापुर से मनीष त्रिपाठी, उन्नाव से अशोक पांडे, फैजाबाद से सच्चिदानंद पांडे और बस्ती से दयाशंकर मिश्रा को टिकट मिला है. ये सभी सीटें ब्राह्मण बहुल हैं और यदि समुदाय का वोट मिला तो बीजेपी को ही हानि पहुंचेगा. टिकट बंटवारे के अतिरिक्त बीएसपी जिस तरह बीजेपी पर सीधे धावा बोल रही है, उससे भी समीकरण बदलने की आसार है. मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने पिछले दिनों बोला था कि बीएसपी नयी बाबरी मस्जिद के निर्माण के समर्थन में है. इस तरह के बयान और मुसलमान उम्मीदवारों को उतारकर बीएसपी पोलराइजेशन करने की स्थिति में है और इसका सीधा लाभ बीजेपी को ही मिलेगा.

इसके अतिरिक्त मुरादाबाद, पीलीभीत, नगीना और बिजनौर जैसी सीटों पर स्वयं मायावती की रैलियां होनी हैं. इससे भी असर दिखेगा. बीएसपी ने तो पहली बार गोरखपुर से भी मुसलमान कैंडिडेट को ही मौका दिया है. इससे साफ है कि सपा-कांग्रेस के लिए चीजें सरल नहीं रहेंगी. गोरखपुर में बड़ी जनसंख्या मुस्लिमों और ओबीसी निषाद की है. ऐसे में मायावती का यह दांव समाजवादी पार्टी कैंडिडेट के लिए हानि पहुंचाएगा. बता दें कि बीजेपी ने ब्राह्मण चेहरे रवि किशन को मैदान में उतारा है.

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