उत्तराखण्ड

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू

बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम भक्तों के लिए शीघ्र ही खुलने वाले हैं. उत्तराखंड के इन चारों धामों में दर्शन के लिए रजिस्ट्रेशन प्रारम्भ हो गए हैं. 10 मई को केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलेंगे. बद्रीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खोले जाएंगे.

रजिस्ट्रेशन के लिए महत्वपूर्ण चीजें

चारधाम यात्रा के रजिस्ट्रेशन के लिए उत्तराखंड की वेबसाइट पर आधारकार्ड और फोटो अपलोड करना होगा. इनके साथ ही घर का पता और मोबाइल नंबर भी रजिस्ट्रेशन फॉर्म में लिखना होगा. जो लोग निजी गाड़ी से आ रहे हैं, उन्हें अपने गाड़ी का भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा.

ऐसे कर सकते हैं रजिस्ट्रेशन

  • यात्रा के रजिस्ट्रेशन लिए 3 ढंग registrationandtouristcare.uk.gov.in पर औनलाइन करें. इस वेबसाइट पर अपना एकाउंट बनाना होगा. इसके बाद रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस प्रारम्भ कर पाएंगे.
  • वेबसाइट के अतिरिक्त वॉट्सऐप नंबर 8394833833 पर भी चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है. इस नंबर पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए यात्रा (yatra) लिखकर मैसेज करें.
  • आप touristcsreuttrakhand एप अपने मोबाइल में इंस्टॉल करके भी रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं.

कैसे पहुंचे उत्तराखंड के चारधाम

जो लोग हवाई मार्ग से आना चाहते हैं उन्हें देहरादून के ग्रांट जॉली एयरपोर्ट पहुंचना होगा. रेल से आना चाहते हैं तो रेल्व स्टेशन ऋषिकेश, हरिद्वार या देहरादून पहुंच सकते हैं. इन तीनों शहरों से बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए बस या टैक्सी सरलता से मिल जाती है.

शीतकाल के लिए बंद रहते हैं उत्तराखंड के चारधाम

उत्तराखंड के ये चारों मंदिर शीतकाल यानी ठंड के दिनों में करीब 6 महीनों के लिए बंद रहते हैं. शीतकाल में यहां का वातावरण बहुत प्रतिकूल हो जाता है, बर्फबारी होती है, इस वजह से ये मंदिर दर्शन के लिए बंद कर दिए जाते हैं. ग्रीष्मकाल यानी अप्रैल-मई से यहां का मौसम यात्रा के लिए अनुकूल हो जाता है. ये यात्रा करीब 6 महीने चलती है.

ये हैं चारों धाम से जुड़ी खास बातें

बद्रीनाथ धाम – बद्रीनाथ धाम ईश्वर विष्णु को समर्पित मंदिर है. ये नर-नारायण दो पहाड़ों के बीच बना हुआ है. इस क्षेत्र को बदरीवन कहते हैं. इस मंदिर के पुजारी को रावल कहते हैं. रावल आदि गुरु शंकराचार्य के कुंटुंब से ही होते हैं. केरल के नंबूदरी पुजारी ही यहां पूजा करते हैं.

केदारनाथ धाम – प्राचीन समय में बदरीवन में विष्णु जी के अवतार नर-नारायण ने यहां पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा की थी. नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए. शिव जी ने नर-नारायण से वर मांगने को बोला तो उन्होंने वर मांगा कि आप हमेशा इसी क्षेत्र में वास करें. शिव जी ने वर देते हुए बोला कि अब से वे यहीं रहेंगे और ये क्षेत्र केदार क्षेत्र के नाम से जाना जाएगा. इसके बाद शिव जी ज्योति स्वरूप में यहां स्थित शिवलिंग में समा गए.

गंगोत्री – ये गंगा नदी का मंदिर है. गंगा नदी का उद्गम गोमुख है और गंगोत्री में गंगा देवी की पूजा की जाती है. गंगोत्री के पास वह स्थान है, जहां राजा भगीरथ ने देवी गंगा को धरती पर लाने के लिए तप किया था.

यमनोत्री – ये यमुना नदी का उद्गम स्थल माना जाता है. यहां देवी यमुना की पूजा की जाती है. यमुनोत्री मंदिर के बारे में बोला जाता है कि टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रतापशाह ने देवी यमुना का मंदिर बनवाया था. बाद में मंदिर का पुनः निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया ने करवाया था. यमुना नदी का असली साधन जमी हुई बर्फ की एक झील और हिमनंद (चंपासर ग्लेशियर) है.

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