बिहार

GI टैग मिलने के बाद भी नहीं बदले हालात, किसानों को हो रहा है नुकसान

 मगध की धरती मगही पान की खेती के लिए जानी जाती है मगध क्षेत्र के गया, औरंगाबाद और नवादा जिले में बड़े पैमाने पर मगही पान की खेती की जाती है यहां का पान बनारस होते हुए राष्ट्र के अन्य राज्यों में भेजा जाता है एक दौर था जब मगध का मगही पान पाक तक भेजा जाता था गया जिले के गुरुआ, आमस और वजीरगंज प्रखंड क्षेत्र, औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड क्षेत्र और नवादा जिले के हिसुआ प्रखंड क्षेत्र में आज भी बड़े स्तर पर इसकी खेती हो रही है दो साल पूर्व मगही पान को जीआई टैग भी मिल चुका है

मगही पान को जीआई टैग मिले दो वर्ष से अधिक हो गए, लेकिन अब तक न तो पान के लिए डेडीकेटेड प्रोसेसिंग प्लांट लगे और न ही पान की खेती के उन्नत मार्केटिंग की कोई प्रबंध ही की गई किसान अपने बलबूते पान की खेती कर रहे हैं उसे कोलकाता, बनारस की मंडियों तक पहुंचाते हैं पान के पत्ते लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए कोई प्लांट नहीं लगाया गया है ऐसे में किसानों के पास पान के पत्ते को तोड़ने के साथ ही तुरंत बाजार में पहुंचाने की शीघ्र रहती है इस कारण किसान कम दर पर भी पान के पत्ते को मंडियों में बेच देते हैं कभी-कभी पानी के पत्ते नहीं बिकने पर हानि भी होता है

धीरे-धीरे घट रही है किसानों में रुचि
मगही पान के किसानों का हाल जानने मीडिया औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड क्षेत्र में पहुंचा जहां आज से 10 साल पूर्व तक देव प्रखंड के 12 गांव में पान की खेती होती थी लेकिन इस खेती में फायदा कम होने के कारण धीरे-धीरे किसान इसकी खेती से दूर होते जा रहे हैं अब केवल 5 से 6 गांव में ही इसकी खेती हो रही है अभी भी इस क्षेत्र में लगभग 50 एकड़ में मगही पान की खेती की जाती है मगही पान की खेती से दूर होने के पीछे किसानों का एक और वजह सामने आई कि उनकी मिट्टी खराब हो रही है, लेकिन गवर्नमेंट उस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है पुराने किसान जो बाहर रोजगार या काम नहीं कर सकते वहीं, किसान केवल इसकी खेती कर रहे हैं

किसानों के लिए घाटे का सौदा
मगही पान की खेती पिछले कुछ सालों से किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है अधिक मेहनत और कम फायदा के कारण युवा वर्ग के लोग इसकी खेती से काफी दूर होते जा रहे हैं हालांकि, गवर्नमेंट के द्वारा काफी हद तक किसानों को फायदा पहुंचाने की प्रयास की गई है पान किसानों को भारी-भरकम आर्थिक सहायता दिया जा रहा है एक यूनिट पान लगाने का खर्च 70500 रुपये अनुमानित है इससे लाभ मात्र 20 हजार होता है इसके अनुसार गवर्नमेंट की ओर से 35 हजार 250 रुपये की सब्सिडी दे रही है

क्या कहते हैं किसान
इस संबंध में देव प्रखंड क्षेत्र के किसान आनंद प्रसाद चौरसिया और संजय कुमार चौरसिया बताते हैं कि मिट्टी में परेशानी के कारण पान किसान को काफी हानि हो रहा है गवर्नमेंट का ध्यान इस ओर नहीं हैं ठीक मिट्टी नहीं होने के कारण उत्पादन नहीं हो पा रहा है और पौधा सूख रहा है किसानों ने कहा कि देव प्रखंड क्षेत्र में अभी 50 हजार वर्ग मीटर में मगही पान की खेती हो रही है, लेकिन हम लोग औने पौने मूल्य में ही पान को बाजारों में बेच रहे हैं 200 पान पत्तों की एक ढोली होती है जिसकी बाजार मूल्य 50 से 100 रुपये तक होती है

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