मोदी-मैक्रों के ऐलान से घुसपैठियों में खौफ
भारत और फ्रांस के एक निर्णय ने दुनिया में हलचल पैदा कर दी है. दरअसल, हिंदुस्तान और फ्रांस एक जैसी ही परेशानी से जूझ रहे थे और अब निर्णय भी एक जैसा ही लिया है. आपको याद होगा कि कैसे मुसलमान शरणार्थियों ने फ्रांस के भिन्न-भिन्न शहरों पर धावा कर दिया था. ये सभी कानूनी ढंग से फ्रांस आए थे. फ्रांस की पुलिस को पता था कि कौन कहां रहता है. लेकिन इसके बावजूद जब शरणार्थियों ने धावा किया तो फ्रांस की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां सब फेल हो गई. अब अंदाजा लगाईए कि हिंदुस्तान में तो हजारों रोहिंग्या घुस चुके हैं, वो भी गैरकानूनी ढंग से. हजारों का तो अता-पता तक नहीं है. यदि ये धावा करेंगे तो क्या होगा. वैसे इसका ट्रेलर हम 2019 में देख चुके हैं. जब सीएए कानून लाया गया था तो उस समय दिल्ली और यूपी के कई इलाकों में रोहिंग्या पत्थरबाजी और आगजनी में शामिल पाए गए थे.
लेकिन अब हिंदुस्तान और फ्रांस खतरा भांप चुके हैं. फ्रांस ने तो अपनी संसद में एक बिल पास कर दिया है. जिसके बाद फ्रांस की गवर्नमेंट घुसपैठियों को सरलता से राष्ट्र से बाहर निकाल देगी. फ्रांस ने विदेशी मौलानाओं को भी राष्ट्र से निकालना प्रारम्भ कर दिया है. अब हिंदुस्तान ने भी बड़ा बयान देते हुए बोला है कि राष्ट्र से गैरकानूनी रोहिग्या शरणार्थियों को भगाया जाएगा. मोदी गवर्नमेंट ने उच्चतम न्यायालय में बोला है कि रोहिंग्या गैरकानूनी अप्रवासी हैं और उन्हें निवास करने और बसने का अधिकार नहीं है, जो सिर्फ़ नागरिकों के लिए मौजूद एक मौलिक अधिकार है.
दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या और सीमित संसाधनों वाले विकासशील राष्ट्र के रूप में राष्ट्र के अपने नागरिकों को अहमियत दी जानी जरूरी है. इसलिए, विदेशियों को शरणार्थी के रूप में पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता, खासकर जहां ऐसे अधिकतर विदेशियों ने गैरकानूनी रूप से राष्ट्र में प्रवेश किया है. गृह मंत्रालय के अवर सचिव द्वारा हस्ताक्षरित हलफनामे में नीतिगत मुद्दे के रूप में गैरकानूनी प्रवासन के विरुद्ध गवर्नमेंट के रुख पर बल दिया गया है. इसका समर्थन करने के लिए, इसने विदेशी अधिनियम के अनुसार एक गैरकानूनी प्रवासी आदमी को निर्वासित करने के अपने कानूनी दायित्व को भी रेखांकित किया है.