बिहार

नौकरी नहीं मिली, तो शुरू किया यह बिजनेस और बदल गई किस्मत

भोजपुर बहुत से युवा पढ़ाई पूरी होने की बाद जॉब की तलाश करते हैं कुछ को मिलती है और कुछ को नहीं मिलती है इससे हताश होकर कुछ बैठ जाते हैं और कुछ नयी आरंभ करते हैं इसी में से एक हैं उमाशंकर पंडित बिहार के आरा के रहने वाले उमाशंकर पंडित को जॉब नहीं मिली तो कपड़ा उद्योग खड़ा कर दिया जिस उन्हें सालाना 5 लाख की आमदनी होती है साथ ही उन्होंने 12 लोगों को रोजगार दे रखा है उमाशंकर ने कहा कि उनका लक्ष्य 50 लोगों को रोजगार देने का है साथ ही बिजनेस को बड़े पैमाने पर ले जाना है

उमाशंकर पंडित ने कहा की कोविड-19 काल में एक मित्र ने मास्क बनवाने का ऑर्डर दिया था जिसे हमने गांव में घरेलू स्त्रियों से बनवाया था इसमें कुछ रुपए का फायदा हुआ उसी समय मेरे दिमाग में आइडिया आया कि यदि कपड़े का व्यवसाय किया जाए तो आमदनी अच्छी हो सकती है इसके बाद सीएम उद्यमी योजना के औनलाइन साइट पर फॉर्म लागू किया जिसमें मेरा सलेक्शन हुआ हमें दो बार चार-चार लाख की किश्त मिली एक बार दो लाख की किश्त मिली कुछ पैसे घर से भी लगाए और 12 मशीन खरीद कर निधि गारमेंट्स के नाम से टेक्सटाइल कंपनी प्रारम्भ की

6 लाख की लागत से खरीदी 12 मशीन
उमाशंकर पंडित ने कहा कि सीएम उद्यमी लोन होने के बाद पटना से 12 मशीन 6 लाख की लागत से खरीदी लुधियाना से थोक में कपड़ा लाते हैं और 12 कारीगर कपड़े को ऑर्डर के हिसाब से कपड़ा तैयार करते हैं तय समय पर ऑर्डर तैयार करने के बाद व्यवसायी आते हैं अपना माल ले कर जाते हैं इसी तरह विद्यालय यूनिफॉर्म का भी बड़े पैमाने पर ऑर्डर आता है विद्यालय मैनजमेंट के साथ काम करते हैं

कितना होता है फायदा
उमाशंकर ने कहा कि 14 से 15 लोग काम करते हैं इनमें 12 लोग मशीन पर बैठते हैं और 2 लोग कपड़े के गोदाम में शिफ्ट करते हैं इन लोगों को 12 हजार से लेकर 15 हजार तक महीने में तन्खवाह दी जाती है हमें महीने में 25 हजार से 30 हजार तक कि आमदनी हो जाती है

प्रदेश में जॉब करने वालों को घर बुला दिए रोजगार
उद्यमी उमाशंकर पंडित का लक्ष्य अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देने में है उन्होंने ने कहा कि मेरे गांव के कई लोग लुधियाना, कोलकाता और बेंगलुरू जैसे दूर के शहरों में कपड़ा फैक्ट्री में काम करते थे, उन लोगों को हमने गांव बुलाया और स्वयं के यहां रोजगार दिए इस से उनको भी लाभ हुआ कि वो अब अपने बच्चे और परिवार के साथ रह सकेंगे और हमको भी बेहतर और अनुभवी कारीगरों का योगदान मिल गया

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