उत्तराखण्ड

Lok Sabha Election 2024: इस बार चुनाव की पिच से आउट है गैरसैंण का मुद्दा…

राज्य बनने के बाद पांचवां लोकसभा चुनाव हो रहा है. इससे पहले लोकसभा हो या विधानसभा हर चुनावी पिच पर सियासी दल गैरसैंण के मामले को कभी बैक तो कभी फ्रंट फुट पर खेलते रहे हैं, लेकिन इस बार ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के बाद पहली बार गैरसैंण का मामला चुनावी पिच से बाहर पवेलियन में है.

केवल यूकेडी ही गैरसैंण के प्रश्न को उठा रही है. राज्य आंदोलनकारी महेश जुयाल कहते हैं, यूकेडी द्वारा 1980 में यहां बीरचंद्र सिंह गढ़वाली नगर गैरसैंण को राजधानी प्रस्तावित की गई. 90 के दशक में चले उत्तराखंड आंदोलन में गैरसैंण को ही राजधानी माना.

चिह्नित राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय अध्यक्ष हरिकृष्ण भट्ट कहते हैं, जिस भावना से राज्य बना उसके केंद्र में गैरसैंण राजधानी रहा. लेकिन, राज्य बनने के बाद कई सियासी दलों ने पहाड़ चढ़ने की इच्छाशक्ति नहीं दिखाई और राजधानी के मसले को आयोगों के कुएं में धकेल दिया.

वर्ष 2012 में तत्कालीन विधायक डाॅ. अनुसूया प्रसाद मैखुरी, तब सांसद रहे सतपाल महाराज, सीएम रहे विजय बहुगुणा ने गैरसैंण में विधानसभा भवन बनाने की बात कह डाली. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसे आगे बढ़ाया, लेकिन राजधानी के लिए हजारों करोड़ की रकम की डिमांड तत्कालीन केंद्र गवर्नमेंट से कर डाली. विधान भवन और विधायक आवास बनने के बाद यहां चंद दिनों के सत्र होते रहे. 2017 के बाद मुख्यमंत्री बने त्रिवेंद्र सिंह ने भी इसमें एक कदम और आगे बढ़ाया और ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दी. राज्य आंदोलनकारी दिनेश जोशी, एमएस नेगी का बोलना है कि बदला कुछ नहीं.

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